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मजबूर / अमृता प्रीतम मेरी माँ की कोख मज़बूर थी... मैं भी तो एक इन्सान हूँ आज़ादियों की टक्कर में उस चोट का निशान हूँ उस हादसे की लकीर हूँ जो ...